लू लगने से मृत्यु क्यों होती है? Dr.Rajneesh Jain

19-07-24
Dr Rajneesh Jain
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लू लगना 

लू लगने से मृत्यु क्यों होती है? 

डॉ रजनीश जैन

भारत में सबसे अधिक तापमान के क्षेत्रों में दिल्ली, बांदा (उत्तर प्रदेश), गुरुग्राम (हरियाणा), चूरू (राजस्थान), पिलानी (राजस्थान), झांसी (उत्तर प्रदेश), गंगानगर (राजस्थान), नरनौल (हरियाणा), और खजुराहो (मध्य प्रदेश) शामिल हैं. इन शहरों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहता है. लू से होने वाली मौतों के मामले में, भारत विश्व का अग्रणी देश है. भारत में हर साल लगभग 31,050 लोग लू के कारण मरते हैं, जो विश्व भर में लू से होने वाली मौतों के कुल 20.7 प्रतिशत होती है. इसके अलावा, एक अध्ययन ने पाया कि 2000-2004 और 2017-2021 के बीच भारत में लू के कारण हुई मौतों में 55% की वृद्धि हुई है.

याद रखें, लू से बचने के लिए आपको उचित तरीके से पानी पीना चाहिए, धूप से बचना चाहिए, और ठंडे कपड़े पहनने चाहिए. यदि आपको लू के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें.

हम सभी धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगो की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है?

 हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है।

 पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है।

 पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है।( बंद कर देता है )

 जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है  और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है।

 शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन  पकने लगता है ( जैसे उबलते पानी में अंडा पकता है )

 स्नायु कड़क होने लगते है इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।

 शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग  (विशेषतः ब्रेन ) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है।

 व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक- एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है।

गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए  लगातार थोडा थोडा पानी पीते रहना चाहिए, और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर  ध्यान देना चाहिए।

Equinox phenomenon

इक्विनॉक्स प्रभाव अगले 5 -7 दिनों मे एशिया के अधिकतर भूभाग को प्रभावित करेगा। कृपया 12 से 3 के बीच ज्यादा से ज्यादा घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें। तापमान 40 डिग्री के आस पास विचलन की अवस्था मे रहेगा। यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा।(ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है।)

क्या करना चाहियें

 

  1. कृपया स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें।
  2. किसी भी अवस्था मे कम से कम 3 ली. पानी जरूर पियें।किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 ली.  पानी जरूर लें।
  3. जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें। किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है।
  4. ठंडे पानी से नहाएं। मांस का प्रयोग छोड़ें या कम से कम करें।
  5. फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें।

एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है।

शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर  कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है।

अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें।

जनहित मे इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें।

 

होम्योपैथी मैनेजमेंट के साथ महत्वपूर्ण टिप्स निम्नलिखित हो सकती हैं:

 

व्यक्तिगत लक्षणों का ध्यान दें: होम्योपैथी में, व्यक्तिगत लक्षणों का ध्यान देना महत्वपूर्ण होता है. यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि चुनी गई दवा व्यक्ति की विशेषताओं और लक्षणों के अनुरूप हो.

सही दवा चुनें: होम्योपैथी में, सही दवा चुनना महत्वपूर्ण होता है. यह व्यक्ति के विशेष लक्षणों, व्यक्तित्व, और स्वास्थ्य इतिहास के आधार पर किया जाता है.

उचित डोज़ और पोटेंसी का चयन करें: दवा की सही मात्रा और पोटेंसी का चयन करना महत्वपूर्ण होता है. यह व्यक्ति की विशेषताओं, लक्षणों की गंभीरता, और बीमारी की प्रकृति पर निर्भर करता है.

धैर्य रखें: होम्योपैथिक उपचार में समय लग सकता है. यह अक्सर धीरे-धीरे काम करता है, और यह स्थायी और लंबे समय तक राहत प्रदान कर सकता है.

व्यायाम और स्वस्थ आहार: व्यायाम और स्वस्थ आहार अपनाने से आपके होम्योपैथिक उपचार की प्रभावशीलता बढ़ सकती है.

डॉक्टर के सलाहानुसार चिकित्सा करें: होम्योपैथिक उपचार के दौरान, यह महत्वपूर्ण होता है कि आप अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें.

याद रखें, होम्योपैथी एक व्यक्तिगत और व्यक्तिगत चिकित्सा प्रणाली है, और यह हर व्यक्ति के लिए अलग होती है. इसलिए, यह सबसे अच्छा होता है कि आप एक योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श करें